Verse 1मुझको भर दो प्रभु अगापे प्रेम से (२)
आ आ आ आ हो हो हो हो
Verse 2अगापे अगापे अगापे प्रेम से भर दो प्रभु (२)
मुझको भर दो प्रभू अगापे प्रेम से (२)
अगापे अगापे अगापे प्रेम से भर दो प्रभु (२)
आ आ आ आ हो हो हो हो
Verse 3चाहे मैं कितनी भाषाएं बोलूं
स्वर्ग की हो या पृथ्वी की
मुझमें प्रेम नहीं है तो मैं झनझनाती झाँझ हूं
Verse 4सारी बातों में धीरज है रखता
और सब कुछ सहता है
बैरी को माफ करता है यह कलवरी का प्रेम है
Verse 5कैसा है यह प्रेम जिसकी कभी भी हार ना हुई
ये है अगापे प्रभु का प्रेम
हमेशा विजय पाता है