Verse 1चखकर मैंने जाना है,
यहोवा कैसा है भला
उद्धार कर्ता की शरण में,
मैं आके धन्य हुआ
Verse 2जीवन भर मैं तेरी,
स्तुति किया करूँगा
उत्तम पदार्थों से तूने,
मुझको है तृप्त किया;- चखकर...
Verse 3जीवन भर मैं तेरी,
करूणा को ना भूलूँगा
संकट में जब मैं पड़ा,
तूने आके सहारा दिया;- चखकर...
Verse 4प्रतिकूल परिस्थिति में,
सामर्थ मैंने तेरी देखी
अपने वायदों को तूने,
मेरे जीवन में पूरा किया;- चखकर…