Verse 1धर्म के सूर्य समान, मेघों में तु आएगा,
उस दिन की आस है मुझे ।-२
उस शोभित तट पर मैं,
तेरे मुख दर्शन करूँ।-२
Verse 2तेरी सेवा में , मैं जो सहता हूँ,
बडे क्लेश , बिल्कुल तुच्छ हैं वो।-२
उस दिन मैं तेरे हाथों से पाऊंगा
बड़ा प्रतिफल।-२;- धर्म के...
Verse 3रात का समय, अब ज़्यादा नहीं।
सुबह का समय अति निकट हैंl-२
अंधकार की प्रवर्तियो को छोड़े,
हम बल पायें। -२;- धर्म के...
Verse 4आसमानो में तुरही की ध्वनि सुनने,
का मुझे इन्तज़ार हैं।-२
उस दिन मैं तेरे संतो के संग,
गाऊँगा तेरी महिमा।-२;- धर्म के...