Verse 1को:- हम यीशू के दरबार - प्रीत भेट चढाने आये,
फैलाये खाली हाथ - वर मुक्ति का पाने आये,
Verse 2यह सांझ सवेरा आये, यह सांझ सवेरा जाये,
ये महिमा तेरी, कृपा तेरी, लीला तेरी,
हर आन निखरती जाये, नवजीवन बनकर छाये !
Verse 3तुम पापिन के रखवाले, हम पापी दीन बिचारे,
मन खोया हुआ, रोया हुआ, सोया हुआ,
हम व्दार तुम्हारे आये, अब पापों से पछताये !
Verse 4तुम परमपिता के प्यारे तुम, विश्व के तारण हारे,
तुम नम्र बने, दीन बने, प्रेम बने,
तुम क्रूस से न षरमाये, इस धरती के घर आये
Verse 5हम दास रहें चरणों के, हम पास रहें चरणों के
वर पावन की, दर्शन की, जीवन की,
हर प्यास बुझाने आये, तन मन से आस लगाये