जब-जब गुनाह का सोचा
तेरी याद तेरी आई
और कलवरी धारा हृदय से यूँ चिल्लाई
यीशु तेरे होते गुनाह मैं कैसे करूँ
यीशु तेरे होते ख़ता मैं कैसे करूँ ... (2)
Verse 2
कभी-कभी बग़ावत करता है मन
तुझसे भी सुंदर लगता है धन ... (2)
सोने की चमक पैसे की सदा
ताने दे कौन है तेरा खुदा
तब मे घुटनो पर झुकता हूँ
ग़ालिब आ कर यूँ कहता हूँ
यीशु तेरे होते...
Verse 3
ये सच है पाप का ज़ोर है
तेरा इश्क़ ही इसका तोड़ है ... (2)
लिपटु तुझसे बच्चे की तरह
हाथों में तेरे डोर है
तू मेरे खातिर पाक बना
ये सोचता हूँ तो कहता हूँ
यीशु तेरे होते...
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