Verse 1क्रूस से बहके आती है खून की धार
जिसमे पिता का है प्रेम अपार
बहते बहते मुझको वहाँ ले जा
प्रेम के सागर मैं;-
Verse 2प्रेमी प्रभु मेरे ईसू (२)
दिन प्रति दिन तू मुझमें बड़े
घटता रहू तब मैं (२)
Verse 3ढ़ूँढा मुझे अनंत प्रेम से
अनंत आशीष दी है मुझे
मुझ हीन को योग्य बना दिया
परम पिता के लिए;- प्रेमी प्रभु ...
Verse 4इस जग में गरीबी से गिर जाऊ मैं
प्यार तेरा हे काफी मुझे
आत्मा मेरे तेरे प्रेम से परिपूर्ण हैं
घटी नहीं हैं मुझे;- प्रेमी प्रभु....
Verse 5इस जग में प्रशंसा मैं किसकी करूं
कोई नहीं हैं तेरे सिवा
प्रभु तेरा प्रेम मेरा स्तुती गीत हैं
मेरा आनंद हैं;- प्रेमी प्रभु....