Verse 1मसीह महिमा हो
तेरी महिमा हो (२)
Verse 2हो सुबह को,हो दोपहर को
हो संध्या को,सारी रात्री को
Verse 3हो घर में तेरी महिमा
हो बाहर तेरी महिमा
तेरे मंदिर में महिमा ही महिमा
Verse 4हो देश में तेरी महिमा
विदेश में तेरी महिमा
हो त्रिलोक में महिमा ही महिमा
Verse 5हो आचार से तेरी महिमा
हो विचार से तेरी महिमा
हो प्रचार से महिमा ही महिमा
Verse 6हो तन से तेरी महिमा
हो मन से तेरी महिमा
तन मन धन से महिमा ही महिमा