Verse 1मैं आँखें अपनी पर्वत की ओर उठाऊँगा ... (2)
मुझको है पता सहायता तुझी से पाऊँगा ... (2)
Verse 2नीचे धरती उपर आसमाँ बनाया
परमेश्वर है वो, उसके गुण गाऊँगा ... (2)
मैं आँखें अपनी...
Verse 3फिसले ना कदम कभी राहों में
इसीलिए मैं सोचता हूँ रातों में ... (2)
ईस्त्राएल है वो रखवाला
उँघेगा ना, वो सोएगा ... (2)
मैं आँखें अपनी...
Verse 4कष्टों से यीशु मुझें बचाएगा
घाव लगते वो मुझे बचाएगा
कष्टों से यीशु मुझें निकालेगा
घाव लगते वो मुझे बचाएगा
अंदर जाऊं या बाहर जाऊं
वो मेरा मुहाफ़िज़ होगा ... (2)
मैं आँखें अपनी...