मैंने पूछा प्रभु से
क्युँ करता मुझसे तू इतना प्यार ... (2)
उस ने कहाँ पुरे दिल से
क्यूंकि तू है मेरे हाथों की रचना ... (2)
मैंने पूछा प्रभु से...
Verse 2
तेरी राहों पर चलते-चलते
कई बार मेरे कदम भटक गएँ ... (2)
फिर भी ना छोड़ा तूने हाथ मेरा ... (2)
तू क्युँ करता मुझसे इतना प्यार
मैंने पूछा प्रभु से...
Verse 3
कई बार तुम्हे ख़ुशी देनी चाहीं
गम के अलावा कुछ ना दिया ... (2)
फिर भी ना छोड़ा तूने हाथ मेरा ... (2)
तू क्युँ करता मुझसे इतना प्यार
मैंने पूछा प्रभु से...
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