Verse 1को:-
मेरे गुनाहों की सजा, तुझको मिली मेरे मसीह,
ऐसे प्यार को हे प्रभु, भुलेगा क्या कोई कभी !
Verse 2तूने बनाया बिगडों को, आकर उठाया गिरतों को,
तुझको जिन्होंने दुःख दिया, तूने उन्हे आशिष दी !
Verse 3जब भी सलीब पर की नजर, मुझको तू याद आ गया,
तेरा त्याग और तेरा प्रेम, तेरा वह दुःख तेरी बली !
Verse 4फिर क्यों न मै यह जिदंगी, तेरे ही हाथ में रखूॅं,
तुझमें कभी न दुःख - व - गम,
तुझ से है मेरी हर खुशी !