Verse 1मेरे महबूब प्यारे मसीहा
किस जगह तेरा जलवा नहीं है
किस जगह तेरी शोहरत नहीं है
किस जगह तेरा चर्चा नहीं है
Verse 2लोग पीते हैं और गिर जाते हैं
मै पीता हूँ गिरता नहीं हूँ
मैं तो पीता हूँ दर से मसीह के
वो अंगूरों का सीरा नहीं है
Verse 3आँख वालों ने तुझको है देखा
कान वालों ने तुझको सुना
तुझको पहचानते हैं वो इन्शां
जिनकी आँखो में पर्दा नहीं है
Verse 4जिसमें शामिल न हो इश्क तेरा
वह परस्तिश, परस्तिश नहीं है
तेरे कदमों पे होता नहीं जो
कोई सिजदा वह सिजदा नहीं है।
Verse 5मर गई थी वह याईर की बेटी
तूने उसपे निगाहें करम की
कर दिया उसको जिन्दा यह कहकर
ये तो सोती है मुर्दा नहीं है
Verse 6मैं तो देता हूँ उसकी गवाही
मैंने ज़िन्दगी मसीहा से पार्यी
अब तो ज़िन्दगी है तेरे हवाले
मैं तो तेरा किसी का नहीं हूँ