Verse 1मेरी रूह खुदा की, प्यासी है ...(2)
मेरी रूह खुदा की, प्यासी है, मेरी रूह ...(2)
जैसे हिरनी, पानी के नालों को तरसती है, मेरी रूह
मेरी रूह, खुदा की, प्यासी है, ...(2) मेरी रूह
Verse 2रात और दिन आँसू बहते हैं
दुनियावाले सब कहते हैं
है कौन कहाँ है तेरा खुदा
क्यूँ है इतना बेचैन ये दिल
क्यूँ जान यह गिरती जाती है
होगा किस दिन दीदार तेरा
कब होगा मिलना रूबरू, मेरी रूह
Verse 3यरदाँ की ज़मीन से गाऊँगा
कोहे मिज़्गार से गाऊँगा
गहाराओं से गहाराओं तक
रात और दिन होगा तेरा करम
मैं गीत दुआ के गाऊँगा
वो मुझपे करे अपनी रहमत
है मेरी बस ये आरज़ू
मेरी रूह…
Verse 4दुश्मन की मलामत तीर सी है
क्यूँ उसके ज़ुल्म का सोग करूँ
चट्टान है मेरी मेरा खुदा
वो मुझसे हरदम कहते हैं
है कौन कहाँ है तेरा खुदा
होगा किस दिन दीदार तेरा
मेरे टूटे दिल की आस है तू, मेरी रूह