Verse 1तुझ बिन मेरे मसीहा ये जीवन भी क्या है
जो तेरे दर पे ना आएं ये जीना भी क्या है(2)
Verse 2पापों का सागर ये कैसा, बढ़ता ही जा रहा है...(2)
ऐसी दशा से बचाकर, नैया पार लगा दे...(2)
तुझ बिन मेरे मसीहा...
Verse 3जीवन मैं देता हूँ तुझको, तेरे ही आस है मुझको...(2)
अपने गले से लगाकर, अपनी राह पे चला दे...(2)
तुझ बिन मेरे मसीहा...
Verse 4मार्ग सत्य और जीवन, यीशु प्रभु तू ही है...(2)
तेरे उस मार्ग पे हम, चलते रहेंगे हरदम...(2)
तुझ बिन मेरे मसीहा...